अम्मा बाबुल से कह दो,,,
ना ब्याहेंगें मुझको परदेस में!!!
जहां तुम सबको देखने को,,,
तरसे और आसूं आए मेरे नैन में!!!
मैं छोटी सी चिडिया बनकर,,,
तेरे अंगना में आई हूं!!
जमाने भर का प्रेम बाबुल और,,,
भाईया से पायी हूं!!
कभी ना टोका बाबा,भाईया ने,,,
मुझको यूं जीने में!!
तेरी छाती की गर्मी सदैव अभिभूत,,,
करती हूं सीने में!!
संगी-सहेलिया मेरी सारी,,,
छूट जाएंगी उस देश में!!!
अम्मा बाबुल से कह दो,,,
ना ब्याहेंगें मुझको परदेस में!!!
दूर वहां जाकर तुम सब बिन,,,
मैं कैसे रह पाऊंगी?!!
अपने पिहर को मन करने पर भी,,,
मैं ना आ पाऊंगी!!
तुम सबकी स्मृतियां मुझको,,,
बड़ा तड़पाएंगी!!
सहेलियों से भी बातें ना मन की,,,
वहां हों पाएंगी!!
हे ईश्वर तूने ये कैसी बनाई,,,
सृष्टि में परम्परा है?!!
ब्याह करने पर लड़की को ही,,,
क्यों अपना ग्रह त्यागना पड़ता है?!!
मानव मिलें या दानव मिलें,,,
जाने कौन मिलें किस भेष में?!!!
अम्मा बाबुल से कह दो,,,
ना ब्याहेंगें मुझको परदेस में!!!
जाने ससुराल में अम्मा तुम जैसी,,,
मां मिलें या मिले मुझे फिर सास!!
जाने कैसे सब कर पाऊंगी,,,
जो अम्मा तू ना रहेगी मेरे पास?!!
हर देखा स्वप्न बाबुल ने,,,
मेरा पूरा किया है।।
कहने से पहले भैया ने मेरी पसंद को,,,
लाकर दिया है।।
कौन खिलाएगा मुझको यूं भोजन,,,
जो वहां रूठ मैं जाऊंगी!!
भैया ना होगा वहां पर जिससे,,,
ना ना करते करते मैं खाऊंगी!!
खुले माहौल में रहने वाली मैं कैसे,,,
रह पाऊंगी अंजानों के परिवेश में!!!
अम्मा बाबुल से कह दो,,,
ना ब्याहेंगें मुझको परदेस में!!!
या तो कह दो अपने जैसा वर ढूंढकर,,,
बाबुल लाए मुझको!!
अम्मा,तेरे जैसी सास मिले,,,
जिसमें मैं पाऊं तुझको!!
यदि भैया सा ख्याल रखने वाला,,,
पति हो तो फिर बताएंगे!!
तब हम सोच समझकर,,,
ब्याह करने पर आएंगे!!
अम्मा तुम ईश्वर से प्रार्थना करना,,,
कि पति दे मुझको परमेश्वर के वेष में!!!
तब बाबुल से कह देना,,,
ब्याह देंगे मुझको परदेस में!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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