इतना दिखावा बाहर से आप करते हो
पर मुझे पता है सच्चाई से डरते हो
आज कुछ पूछूं आपसे
तो क्या आप बतलाओगे?
कुछ तो बोलो क्यों
सच छिपाया फिरते हो?
अपने दम पर जीना आपको आता ही नहीं
फिर क्यों जग मैं इतना दिखावा करते हो?
घर आये लड़की पैसे लेकर तो है बहू
बिन पैसों के आएगी तो समाज से डरते हो
पैसों से तोलते हो अपनी इज्जत जग में
बिन पैसों के इज्जत नहीं होती
जो इतनी लीपा-पोती करते हो
अगर कोई कर लेता है विश का सेवन
सच्चाई है वह मर ही जायेगा
विश तो विश है विश ही रहेगा
क्या दवा मिलाने से वह अमृत बन जायेगा?
उसी तरह अगर बहू दहेज़ लाये
तो क्या समाज आपके लिए बदल जायेगा?
इतना दिखावा बाहर से आप करते हो
पर मुझे पता है सच्चाई से डरते हो
आज कुछ पूछूं आपसे
तो क्या आप बतलाओगे?
बहू को बेटी कहने से क्यों डरते हो?
कुछ तो बोलो क्यों
सच छिपाये फिरते हो?
Originally posted at : https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/ashok-pachaury-dikhawa-the-dowry-system
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




