छुपा बादल में,
चले पुरवाई होले-होले,
यादों की बगिया महके,
सुंदर मीठे सपने सलोने।
चाँद ने पूछा एक दिन मुझसे —
"कहाँ रहता है तेरा चकोर?"
मैं शर्माई, नज़रे झुकाई,
जवाब दिया उसे होले-होले —
"वहीं... जहाँ तुम रहते हो।"
उसने पूछा — "क्या पहनता?"
"वही... जो तुम पहनते हो!"
"बताओ तो, कैसा दिखता है?"
"वैसा ही... जैसे तुम दिखते हो!"
चाँद छुपा है बादल में,
घनघोर घटाएँ उमड़ी घुमड़ीं,
रिमझिम बरसा पानी झमझम,
भीग गया तन-मन गहराई तक,
जैसे बूँदों ने थाह ली मन की!
धड़कन कहने लगी कहानी,
पलकों पे ठहरी एक निशानी —
चकोर नहीं कोई और है वो,
जो बसता है इस दिल की ठौर पे।
अब चाँद भी मुस्काए हलके से,
बोला — "तो फिर मैं क्या हूँ?"
मैं हँसी... फिर धीमे से बोली —
"तुम उसकी ही परछाईं हो!"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




