देखने सुनने में ये सब अच्छे भले होते हैं
कुछ लोग यहां लेकिन दूध जले होते हैं
चलता नहीं कुछ है पता देखके पेड़ों को
गिर जाते हैं फल खुद जो भी पके होते हैं
जैसे ही कहीं मिलती हैँ उसे तट में दरारें
टूटें वही दरिया जो मुद्दत से रुके होते हैं
सूरत में कशिश ज्यादा होती है उन्ही की
शर्मों के नकाबों से जो चेहरे ढके होते हैं
ना दीन धरम का कुछ पैमाना गुनाहों में
ऊँचे कई मुजरिम बहुत पढ़े लिखे होते हैं
क्यूँ नींद में ग़ाफ़िल है अरे दास अभी भी
दिल में ही तेरे बैरी हर वक्त छिपे होते हैं