अनजाने में भी ग़लतियाॅं बहुत हो जाती है,
उन ग़लतियों की हमें माफ़ी मिलेगी क्या?
कहते कुछ है, समझ कुछ और लिया जाता है,
फिर भी आपका दिल दुखा तो माफ़ी मिलेगी क्या।
हमारे जज़्बात कुछ कहते हैं सुन लिया कीजिए,
फिर भी सुनाई कुछ और दे तो माफ़ी मिलेगी क्या।
कहते है दो जने हमे, कि बहुत संवेदनशील है तू,
उस संवेदनशीलता से चोंट पहुॅंचे तो माफ़ी मिलेगी क्या।
दिल में छुपाया कुछ नहीं जो है मालूम आपको,
फिर भी कुछ छुपा सा लगे तो माफ़ी मिलेगी क्या।
अपनी ही तरफ से कुछ ना समझना बात हमसे करना,
फिर भी बात हमारी चुभे तो माफ़ी मिलेगी क्या।
✍️✍️ रीना कुमारी प्रजापत