कुछ होने की हैं अड़चनें,
कुछ ना होने का ग़म भी है !!
कुछ खोने की हैं दिक्कतें,
कुछ ना खोने का ग़म भी है !!
होना था कुछ सपने पूरे,
साथ ही उसके चला गया सब !!
वही जो रीढ़ थी इस जीवन की,
टूट जाने का यूँ ग़म भी है !!
होने ना होने के खेल में,
है सच हम इक दिन ना होंगे !!
होकर भी कुछ ना हो पाये,
जो है उजाला वही तम भी है !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है