देखने वालों ने कहाँ खुदा का हिसाब देखा।
इंसानियत नही देखी उसका हिजाब देखा।।
एक अदनी सी शख्सियत में समाहित जान।
खुदाई की ताकत का उस पर प्रभाव देखा।।
संस्कारों में बँधी हुई खूबसूरती से अलहदा।
रोशनी का उस पर हद से ज्यादा दबाव देखा।।
बेवक्त भेड़-चाल में चलते चले गए 'उपदेश'।
ना खुद को देखा ना धर्म की किताब देखा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद