मचलते भाव दिल के जब अक्षर ढूँढ लेते।
फिर अंदाज़-ए-बयाँ पढ़ना दिल झूम लेते।।
जिनको उड़ने की चाहत उनकी बात क्या।
ज़मीं पर रहकर वो अपनी मंजिल चूम लेते।।
समझ अपने पराये की आते ही आते आती।
फिर भी नन्हे-मुन्हे कैसे माँ आँचल चूम लेते।।
इस तरह अपनी लकीरें खींचने वाले हैं कम।
अपने पर भरोसा हो तो महफ़िल चूम लेते।।
प्यार गहरा प्रभाव डाले 'उपदेश' ऐसों पर।
खुद की छलाँग भर से वो बादल चूम लेते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद