चेहरा गुलाब सा खिल कर बात करता।
मस्त मौला मिजाज अन्दर में थिरकता।।
दिल की बाते बताने का तरीका गहरा।
असमंजस का पन्ना बार-बार फड़कता।।
खुली किताब की प्रस्तावना की तरह।
सिलसिला शुरू होते ही दिल धड़कता।।
मैसेंजर पर चेट करते-करते फोन आए।
स्मार्टफोन ज़ज्बात को समझ नही पाता।।
वीडियोकाल पर देखती रहती 'उपदेश'।
सोचती मिले न होते प्यार ना पनपता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद