लफ्ज़ कहदे अगर होगी तेरी मेहर
चुप रही जो कहीं हो न मुझपे असर
इस कदर शौकिया कत्ल नजरो से कर
बन गई नील अम्बर ओ सुन बेखबर
लफ्ज़ कहदे अगर ....
मधु मीठे अधर प्यारे किस काम के
नम ये आंखे नशीले बिना जाम के
करदे इतना सुकर मुझपे हो न असर
हो अगर जानेमन तू न नीलम कर
लफ्ज़ कहदे .........
रूठकर देख मुझसे तू जाया ना कर
सब्र की मेरे अब आजमाइश न कर
टूटकर जो गया प्रीति का ये भंवर
लाख हलचल उठाले बनेगा न पर
लफ्ज़ कहदे ....