तुमसे बिछड़ के भी जिंदा रहना पड़ेगा,
रंज-ओ-ग़म भी हँस कर सहना पड़ेगा।
मैं अभागा मेरे हाथ में तुम्हारा हाथ नहीं,
छोड़ेंगे सब, हमेशा के लिए कोई साथ नहीं,
दुख ये नहीं कि अब तुम जा रहे हो,
दुख ये की तुम्हें अलविदा कहना पड़ेगा।
तुमसे बिछड़ के भी जिंदा रहना पड़ेगा,
रंज-ओ-ग़म भी हँस कर सहना पड़ेगा।
घृणा, कुंठा, व्यथा, कसक, वेदना,
एक के ऊपर एक का यूँ दबना,
फूट पड़ा दाब से भावों का ज्वालामुखी,
हर पल उसे अब आँसुओं से बहना पड़ेगा।
तुमसे बिछड़ के भी जिंदा रहना पड़ेगा,
रंज-ओ-ग़म भी हँस कर सहना पड़ेगा।
साथ जीने मरने का वादा किया था,
उम्रभर साथ चलने का इरादा किया था,
इस मोड़ पे हमें अब बिछड़ना पड़ेगा,
तुमसे बिछड़ के भी जिंदा रहना पड़ेगा,
रंज-ओ-ग़म भी हँस कर सहना पड़ेगा।
ज़हर जुदाई का हँस कर पीना पड़ रहा,
तुम्हारे बिना भी अब जीना पड़ रहा,
अपना ज़ख्मी दिल यूँ सीना पड़ रहा,
आँख में आँसू भर के भी हँसना पड़ेगा।
तुमसे बिछड़ के भी जिंदा रहना पड़ेगा,
रंज-ओ-ग़म भी हँस कर सहना पड़ेगा।
🖊️सुभाष कुमार यादव