दिल अपना दे बैठे
अनजाने में, हम उन से, ये सौदा एक कर बैठे
दिलके बदले में उनको हम दिल अपना दे बैठे
अनजाने में जब उसने मुझे अपने पास बुलाया
एक नजर में हम उनसे सौदा दिल का कर बैठे
देके उनको चांद-सितारे जब हम घर आए
प्यार की लौ से हम रौशन घर अपना कर बैठे
शाम ढ़ली तो यादें उनकी कहर ढ़ा गई दिल पर
यादों की इस नैया में, हम रात, सफर कर बैठे
सौंप दिया है, दिल उन को, आगे मर्जी उनकी
साथ निभाए जीवन भर या अपने घर में बैठे
जो होना था हो गया यादव तू अब क्यूं घबराए
ऐसा ना हो आज कहीं तू, दिल छोटा कर बैठे
- लेखराम यादव
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