तुम्हारे कदमो की आहट में खो कर।
रुक नही पाता मेरा दिल सम्हल कर।।
मजबूरियाँ देर रात तक जगाती मुझे।
नींद आती नही बर्फ जैसी पिघल कर।।
गीली आँखें हो जाती तुम्हारी याद में।
जिम्मेदारियों पर 'उपदेश' चल कर।।
हकीकत में मोहब्बत छुपती ही नही।
सुबह उठ जाता अपनी आँखें मल कर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद