कल -कल करती
सबको सुहाती,
मैं हूं नदी
सबकी तृष्णा बुझाती।
मेरे बिना
असंभव है जीना ,
मैं हूं नदी
मुझे नहीं खोना।
मेरे पास
वातावरण है खास,
मैं हूं नदी
ईश्वर की दास।
मेरा जल
है तुम्हारा कल,
मैं हूं नदी
जीवन का हल ।
- वंशिका जेठानी