पैसे से तोलूं क्या जीवन,
....अपनो संग जी लूं क्या जीवन,
किसको पकडू किसको छोडू,
....घुट घुट कर जी लूं क्या जीवन(2),
सोचा था अपनो के संग होगा,
....अपना भी इक पल होगा,
अब वो एक पल भी गुम है,
....केसे खाली जी लूं जीवन(2)
अब निकलना होगा कमाने,
....कुछ यादें गांव की भी क्या ले लूं,
अपनो संग इक लम्हा क्या जीवन लूं,
....पैसे से तोलूं क्या जीवन(2),
निकला हूँ कुछ यादें लेकर,
....माँ बाबू जी की बातें लेकर,
ये मोह ऐसा जो जीने ना दे,
....मर मर कर जी लूं क्या जीवन(2),
कवि....राजू वर्मा
सर्वाधिकार अधीन है