गलत कहते है लोग की लड़के आवारा होते है ll
मां की आंचल में छुप के रोते है लड़के ll
घर की इज्ज़त की खातिर कभी खुद बदनाम होते है लड़केll
पिता के छांव पाने को तड़पते है लड़के ll
पिता से डांट सुन आंचल में मां के चुप जाते है लड़के ll
बड़ा होते ही वो मां का प्यार और पिता के डांट के,
लिए तरस जाते है लड़के अपनी बहन के हीरो होते है लड़के ll
परिवार से प्यार नहीं जता पाते है लड़के ll
मां के हाथों से बना खाना तो कभी पिता संग,
बाजार जाने को तरस जाते है लड़के ll
हर वक्त आवारा नहीं होते है लड़के ll
भाई - बहनों के संग मस्ती करने को रो जाते है लड़के ll
बचपन के सपनों को दफन कर देते है लड़के ll
अपना फ़र्ज़ निभाने के लिए खुद को बदल देते है लड़के ll
घर की जिम्मेदारी की खातिर घर को ही छोड़ देते है लड़के ll उनको भी दर्द होता है पत्थर दिल नहीं होते है लड़के ll
हां हर वक्त आवारा नहीं होते है लड़के ll
शिवम् जी सहाय