ईटो की दीवारो में झिर्री दिखती साफ-साफ।
बचपन की दीवानगी कर देना मुझको माफ।।
कभी खुशबू लेता कभी देख लेता आर-पार।
कभी नजर आते पराठे कभी वह साफ-साफ।।
खुद को असहाय सा पाता उलझन 'उपदेश'।
मकसद कहा अंजुमन में खाला ने साफ-साफ।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद