मुहब्बत को नफरत की ये शमशीर देते हैं
जुबां के तीर लगते ही कलेजा चीर देते हैंI
ज़ख्म बहुत गहरे हैं एक समंदर की तरह
कभी भरते नहीं खुलके हमेशा पीर देते हैंI
महज लफ्ज तीखे हैं तलखियों के खंजर
बड़े खूंखार कातिल रूह को जंजीर देते हैं I
बदल जाते हैं दोस्त भी जानलेवा दुश्मन में
मसीहा भी हमें ही दास बस तकरीर देते हैं।
जब तलक ठीक तो मीठी गज़ल सुनाते हैं
रूठते हैं तो सुरों को बिगड़ी तस्वीर देते हैं II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




