एक बूंद जल
एक बूंद आसूं
जल मीठा
आसूं खारा
क्यों ऐसा..?
ना कभी सोचा
ना कभी समझा...
एक प्यास बुझाएं
तो दूजा दर्द मिटाएं
है कितनी ताकत दोनों में
फिर भी... दाम
क्यों न...कोई बता पाएं !!
एक सरिता में समाएं
एक सागर में
गहनता दोनों की
कहां समझ आएं ...!!!!