दीवार की तस्वीर धुंधली हो गई होगी।
बन्द चार दीवारो में धूमिल हो गई होगी।।
बदन गिरफ्त में रहा मन उनके चारो तरफ।
एक पिंजरे के पंछी की तरह हो गई होगी।।
कौन कब तक रखता ख्वाबों को मुट्ठी में।
उनके हाथो की हालत खराब हो गई होगी।।
उनके बिन य़ह दुनिया अच्छी नही लगती।
सुनती देखती तन्हाई पहरी हो गई होगी।।
इशारे समझने वाले कहाँ अब दुनिया में।
यार की 'उपदेश' अक्ल बहरी हो गई होगी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद