इस सदी से उस सदी का सफर
चंद लफ्जों में दास बयां होता हैI
तन्हाई के जाम बहुत नशीले हैं दास
जो भी पीता है मदहोश सदा रहता है।
नया युग नई तहजीब में शामिल हुए हैं
सिर्फ सत्ता के लिए सब पागल हुए हैं
इधर कुआं हैं उधर खाई है गहरी बड़ी
दास अपनी शान में सब घायल हुए हैं।
दास दिल के आईने पर धूल इतनी जम गई है
अब मुझे खुद को भी पहचानना मुमकिन नहींI
उड़ते थे कभी वे भी खुले आसमान में
आते कभी नहीं थे शिकारी के जाल में
पर वक्त ने उन्हीं के पंख काट डाले हैं
फड़फड़ाते हैं बस उड़ने के अहसास में।
गम ही अपना सगा है केवल
खुशी ने सबको ठगा है केवल
भागता है जितना पीछे इंसान
सुख ने हरदम छला है केवल।
तेरे दीदार की तमन्ना में दास
जिन्दगी अफ़सोस हुई जाती है I

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




