कौन से अफ़साने और कौन से दास्तान लिखूँ,
जो दिल में ही नहीं अब उसे कैसे जान लिखूँ।
मैंने उसे पाने उसने मुझे खोने की साजिश की,
अपने आप को या उसको किसे बेईमान लिखूँ।
जिसे तुम दोस्त कहती, मुझे रकीब लगता है,
जिस पे नहीं यकीन उसे कैसे इतमीनान लिखूँ।
सलीके से किया, कहानी में कत्ल किरदार का,
ज़ख्म दिखते ही नहीं उसे कैसे लहूलुहान लिखूँ।
जिनके दिल और दिमाग हैं ही नहीं एक जैसे,
कोई बता सके तो मैं भी उनका पहचान लिखूँ।
वो ग़ज़लें पढ़ने लगी है, मैं लिखना सीख रहा,
पहुँचाऊँ कैसे उस तक, कैसे नामोनिशान लिखूँ।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




