हर भवन की दीवार पे सजती हुई घड़ी
बड़ी आन और शान से चलती हुई घड़ी
है वक्त की निगहबान दास पहरेदार हैं
है वक्त बेशकीमती दिखलाती हुई घड़ी II
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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