झूठे, मक्कार, धोखेबाज,
फर्जी है ,ये तीन दलाल।
जांच पत्रों को,गायब करते हैं।
नाम है जांच में, इसलिए डरते हैं।
अंकी, इंकी, डंकी लाल,
खाकर बच्चों का पैसा, हो रहे मालामाल।
इस पैसे का, बंदर वाट हो रहा है।
आधा तेरा आधा मेरा, हिस्सा उनको भी दे रहा है।
चक्क छान रहे दूध मलाई, शिकायती पत्रों की लगी भरमार।
जांच ऐसी बैठा दी, अधिकारी है ईमानदार।
अब नये-नये घोटाले , रोज छपेंगे समाचार पत्रों में।
भगवान के यहां, देर है अंधेर नहीं।
सुना है ,बैंक खातों , संपत्ति की भी जांच होगी।
भ्रष्टाचार की, फाइलें सभी खोली जाएगी।
लोगों का कहना ऐ!"विख्यात", अब जिंदगी कटेगी जेल में।