वह आई थी बन के बादल
बिन बरसे चली गई।
पानी जो संग लाई थी
प्यार की बरसात के लिए
वह सारे के सारे मेरी आंखों
में भर गई।
ज़माने की तपन जलन खा कर
बन कर भाप ना जानें कहां उड़ गई...
पर बहाता नहीं हूं अश्क
की कही वो बह ना जाए
एक वही तो है उसकी
अखरी निशानी
कहीं निकल ना जाए।
दोस्तों हर बेवफाई में
बेवफाई नहीं होती।
उसमे भी कुछ सच्चाई होती है।
जीवन की कुछ करिश्माई होती हैं।
ज़रूरी नहीं कि दर्द ना हो
जो हरेक आंख रोती हो।
हो सकता है मैं खरा ना उतरा
होऊंगा जो कसौटी उसने बना रख्खी हो।
होंगें कुछ उसके अपने सपने
या होगी कोई मज़बूरी
जो ना जानें क्यों बना ली
मूझसे वह दूरी।
या रही होगी उसकी कोई
मुझसे भी कम ज़रूरी।
पर प्यार तो एक एहसास है
जीने के लिया खास है।
सच्चा प्यार कभी कम नहीं होता
फ़र्क नहीं पड़ता की आशिकी
आस है या पास।
जो दिल में एक बार उतर गया
वह हमेशा के लिए बस गया
रोम रोम में वह रच बस गया
सचमुच में वह हमेशा के लिए
दिलों दिमाग में फंस गया
वह रगों में लहू बन कर बह गया
वह रोम रोम में रच बस गया...
वह रोम रोम में रच बस गया....