दरिया की तरह ही रास्ता बना रहा मन।
खुद भी उसके संग संग बहा जा रहा मन।।
ठंडक के दिनों में भी गर्मी जैसा एहसास।
बड़ी मेहनत से उष्मा बढ़ाए जा रहा मन।।
उसकी साँस महक रहीं मेरी साँस के संग।
उसका वेग 'उपदेश' सम्हाले जा रहा मन।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद