रोज सुबह उठते ही बदहाल तन होता।
दर्द जगह बदलता नई नई जगह होता।।
जीभ का स्वाद फीका करना चाहे तन।
कभी कभी बेचैनी से अंदर अमन रोता।।
अभी उम्र ही क्या और दुखो की बढ़त।
इलाज तो करो 'उपदेश' नही सहन होता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद