अब तो तड़पना ही मेरी आदत बन गई।
ज़ख्म भरने से पहले गुस्ताखी कुरेद गई।।
अंधेरे साये में मुझ पर नफरत की चादर।
डाली इस कदर अन्दर ही अन्दर भेद गई।।
प्यार जताना जैसे सीखा ही नही उसने।
घर के अन्दर तन्हाई आईने को छेद गई।।
लबों पर ताला और आँखों में छल उसका।
उम्मीद की पतंग उड़ी किस्मत लपेट गई।।
रास्ता बदलूँ तो कैसे बदलूँ 'उपदेश' बता।
आधी उम्र कट गई औए आधी समेट गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




