गिरा हूं जब भी, खुद को संभाला है
मां की दुआओं ने, इतना असर डाला है
जादू है, जन्नत है, मां के होंठों में
माथा जो चूमे तो,सारा जहां निराला है
आंखों में चमक मेरा,मन उजला उजला है
ममता ने सींच सींच, इतना धो डाला है
सारे अपशकुन,डरके भाग जाते हैं
मां की आंखों में, भरी ऐसी ज्वाला है
थपकी वाले हाथों से, चांटे भी खूब खाए
जैसे यशोदा ने, कान्हा को पाला है
घर की दहलीज पर, आयी जो मुसीबतें
मां ने इशारा कर, उंगलियों से टाला है
जिम्मेदारियों से कभी, पांव लड़खाड़ाते है
सीख दी जो मां ने,उसी ने संभाला है।।
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







