कापीराइट गजल
जब हमने अपने जीवन की हर एक खुशी को वार दिया
छोङ के, अपनी खुशियों को तेरी खुशियों से प्यार किया
तेरी खुशियों की खातिर जब मैं हर पल हर दिन दौङा हूं
मैं तेरी ख्वाहिश की खातिर
अपना सब कुछ वार दिया
अपने, हिस्से में आए केवल कुछ, ताने, कांटे और चुभन
जब, अपने, हिस्से का मैंने
तुझ को, सारा, प्यार दिया
खुश रहे सदा तू जीवन में ये
आखिरी, ख्वाहिश थी मेरी
तुम रहे खेलते खुशियों से जब खुशियों का संसार दिया
मेरे दिल के ये अरमान सभी
आज भी वैसे ही अधूरे हैं
ये आज, भी यूं ही तरसते हैं
किसने इन से प्यार किया
जब भी मैंने खुशियां मांगी
अंजानों, सा व्यवहार किया
किस से उम्मीद करे यादव
जब अपनों ने इंकार किया
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है