सूरज को देखने की कोशिश न कर।
कशिश बाकी है तुझमें बेबस न कर।।
आसमाँ को छुने का ख्याल आये तो।
मिलने की राह निकाल बेहोश न कर।।
हवा के छुने का एहसास हो जाये तो।
बराबर ग़ज़ल पढ़ ग़ज़ल पास न कर।।
बादलों की उड़ान कराई थी 'उपदेश'।
उसको याद कर और अफ़सोस न कर।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद