स्त्री चलनी की ओट से
चाँद को ही नहीं निहारती
अपनी मनोदशा की ओट से
प्रियवर को समर्पित करना चाहती
चाँद की उभरती हुई चंद्रिका को देख
वह भी उसी तरह बिखरना चाहती
अपने प्रियतम के प्रेम में डूबकर
गहरे एहसास में जीना चाहती
चाँद को अर्घ देने के साथ ही
वह मन ही मन स्वयं को समर्पित करती
इस उम्मीद के साथ 'उपदेश'
प्रेम दिन-दूना रात-चौगुना करना चाहती
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




