छांव सी ठंडी, धूप में राहत,
माँ है तो जीवन में है सरसता की राहत।
कदम डगमगाए तो थामे वो हाथ,
बिन बोले समझे, है माँ की यही बात।
नींद से पहले वो लोरी सुनाए,
ख़ुद जागे पर हमें सुलाए।
थाली में पहले परोस दे प्यार,
खुद भूखी रहे, ना करे स्वीकार।
हर दर्द में दवा का नाम बनी,
संघर्षों में भी मुस्कान बनी।
वो अलक्षित ईश्वर का रूप है,
जिसके हर आँचल में धूप है।
माँ सिर्फ शब्द नहीं भावना है,
जीवन की सबसे मधुर परिभाषा है।
जिसने माँ को जाना नहीं,
उसने सच्चा प्रेम पहचाना नहीं।
डॉ बीएल सैनी
श्रीमाधोपुर सीकर राजस्थान