बारिश आयी है
मन उल्लास से भर गई
जब बारिश आते-आते
मन में छिपे बच्चे को जगाती
बारिश में भीगने की, मैं तो
अट्टालिका पर जाती वो भी छतरी लेके
नाचती हूँ, गाती हूँ, और क्या-क्या
मां को बहुत सताती
बारिश में भीगते-भीगते
वृक्ष के पत्ते और उसके फल
जितनी खूबसूरत लगी थी कि
मैं बार-बार फोटो खींचने लगी
यह पेड़, फल, पत्ते, और पर्यावरण
सबसे अलग होते हैं
क्योंकि सिर्फ उनके देना ही आता है
वापस कुछ नहीं चाहते
बारिश होने से ये खूबसूरती
और बढ़ गई
मैं ईश्वर से इबादत की
बारिश और बढ़ न जाए
लेकिन तो मां मुझ पर चिल्लाती रहती ॥