गजब की कानाफ़ूसी चल रही है l
सच से अब बदसलूकी चल रही है l
जिंदगी में जिन है चुगलबाज़ी का,
रूबरू लुक्का - छिपी चल रही है l
रंक.. बात से बन गया है राजा अब तो,
लोगों की जी हुजूरी चल रही है l
सच जिनके हलक से बाहर टपका,
उनकी मुसलसल फकीरी चल रही हैl
दिलों को जोड़ने का ग्लू है रुपया - पईसा,
पैसे से अजब कारीगरी चल रही हैl
जो मुँह में शहद घोलकर बोलता है यारों,
उसी की बस अमीरी चल रही हैl
दिलों में रंज लेके कैसे मुस्कुरा लेते हैं लोग,
दिलों में दिलकश गरीबी चल रही हैl
-सिद्धार्थ गोरखपुरी