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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुछ तो बात है मैख़ाने में - दार्शनिक गीत - वेदव्यास मिश्र

कुछ तो बात है मैख़ाने में,
वर्ना यहाँ प्यासे क्यूँ मिलते !!
चैन अगर ना मिलता यहाँ पे,
तो इतने बेचैन ना मिलते !!

मत कहना कि शराब बुरी है,
फिर यहाँ सच्चे लोग क्यूँ मिलते !!
दुनिया से ठुकराये सभी फिर,
एक जगह पर यूँ ना मिलते !!

कौन यहाँ पूरा जिन्दा है,
कोई अध्धी तो पव्वा है !!
तनहाई ने पी करके फिर,
छोड़ा खाली बोतल जैसे !!

कोई ग़म का हल ढूँढता है,
कोई खुद हल्का होता है !!
ठीक यहाँ बोतल की तरह ही,
इनसाँ सारे पैग में मिलते !!

- वेदव्यास मिश्र की दार्शनिक कलम से


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर मधुशाला है आपकी, आपकी मधुशाला में आकर बहुत अच्छा लगा, बहुत सुंदर 👌👌👏👏✍️✍️🙏प्रणाम

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, इस साहित्य मधुशाला में आपके आगमन से बहुत प्रसन्नता हो रही है !! इस साहित्य रस के पान से मन ,आनन्द के नशे में चूर है ..इसके नशे की लत..लागी है तो लागी है !! साहित्य रस के सभी पियक्कड़ रचनाकारों को बहुत-बहुत आभार नमन !! आभार सहृदय 💝💝🍵🍵💝💝

कमलकांत घिरी said

वाह सर जी क्या खूब लिखा... दुनिया से ठुकराये सभी फिर, एक जगह पर यूँ ना मिलते !!👌👌👌👏👏🙏 प्रणाम 🙏

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत घिरी जी, स्नेहाशीष भाई !! आपने मेरे दिल के बिलकुल करीब वाले अहसास का चयन किया है !! सधन्यवाद आभार आनन्दित हृदय से 💖💖

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