बचपन है कच्ची मिट्टी जैसा,
जैसा गढ़ो, वैसा बन जाएगा।
संस्कारों से सींचो इस बगिया को,
कल फूलों सा ये महक जाएगा।
हर बात जो तुम कहोगे रोज़,
वो बन जाएगी उसकी सोच।
तुम अगर सिखाओ प्रेम और धैर्य,
तो वही बनेगा उसका पथ-प्रवेश।
टीवी से ज़्यादा कहानी सुनाओ,
फोन की जगह हाथ पकड़ चलाओ।
अच्छी आदतें, सही दिशा देकर,
हर दिन थोड़ी शिक्षा अपनाओ।
ना सिर्फ़ पढ़ाई, इंसान बनाओ,
सच्चाई का बीज मन में रोपो।
वो सीखे हार में भी मुस्काना,
और दूसरों के आँसू पोंछो।
संस्कार हैं वो दीपक जो,
अंधेरे में राह दिखाएँगे।
आज तुम जो मूल्य सिखाओ,
कल वही पीढ़ी निभाएँगे।
तो माँ-बाप बनो एक मिसाल,
बच्चों के पहले गुरु कहलाओ।
हर पीढ़ी सुधरेगी फिर खुद-ब-खुद,
बस पहले तुम अपना धर्म निभाओ।