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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कारवां-ए-ज़िंदग़ी - अशोक कुमार पचौरी

कारवां-ऐ-जिंदगी किस गमे फ़िराक़ में है?

वो जलन इस आग मैं कहां?

जो जलन इस राख में है

कारवां-ऐ-जिंदगी किस गमे फ़िराक़ में है?

जिंदगी का कारवां

ऐसे चला ऐसे बढ़ा

पत्ते गिरे जमीन पर

सूखी हुई कोई साख है

वो जलन इस आग में कहां?

जो जलन इस राख में है

कुछ नशा था प्यार का

कुछ गमे दिलदार का

बेवफाई यार ने की

किस हालत में है?

वो जलन इस आग में कहां?

जो जलन इस राख में है

चार लम्हे थे रुके वो

पांचवे में चले गए

सात जन्मों का साथ था

हमको उनकी तलाश है

वो जलन इस आग में कहां?

जो जलन इस राख में है

चांदनी सी रात का

चेहरा था जिनका याद है

दो पल की तो बात थी

और दो पल की ही बात है

वो जलन इस आग में कहां?

जो जलन इस राख में है

कारवां-ऐ-जिंदगी किस गमे फ़िराक़ में है?

Originally Published at : https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/ashok-pachaury-karwa-e-jindagi




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

वन्दना सूद said

बहुत खूब 👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका सह्रदय आभार mam मुझे आपकी रचनाए बहुत पसंद आती हैं लेकिन अपनी किसी कविता पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर प्रफुल्लित और गौरव का अनुभव करता हूँ - जिनको हम पढ़ना पसंद करते हैं यदि वो हमें पढ़कर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं तो ये उनका बड़प्पन एवं प्यार है जो अपनेआप में गौरव का विषय है सादर आभार नमन !!

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