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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

छीन लो क़िस्मत को क़िस्मत से ही - मोटिवेशनल काव्य - वेदव्यास मिश्र

छीन लो क़िस्मत को,
क़िस्मत से ही !!

याद रखना...
यहाँ मुफ्त में कुछ भी
नहीं मिलता !!

न तो बिस्तर मिलती है,
यहाँ मुफ्त में..
न ही मुफ्त में नींद ,
ही मिलता !!

छीन लो हर खुशी,
मेहनत के डगर से..
गुजर कर दोस्तों !!

याद रखना..
यहाँ मुफ्त में,
जाम तो मिल सकता है..
मगर मुफ्त में,
कोई दोस्त नहीं मिलता !!

न माँगो भीख में,
कुछ भी यहाँ खुदगर्ज
लोगों से..

हमने देखा है मुफ्त में,
मिल सकती है ज़िन्दगी !!

मगर इसी दुनिया में,
मरने के बाद,
मुफ्त का सामान,
नहीं मिलता !!

कदर करना अपने,
आँसुओं की..
जज्बात में न बहा देना,
यूँ ही आवारा गलियों में !!

याद रखना..
यहाँ मुफ्त में आशिक़ी,
भी नहीं मिलती !!
और न ही सागर का
किनारा ही मिलता !!

हिम्मत, हौसला और
धीरज ही क़िस्मत की
असली संतान हैं !!
और अपनी सही
पहचान भी !!

याद रखना...
ओस को चाट लेने से..
प्यास कभी बुझ ही
नहीं सकता !!

- वेदव्यास मिश्र की मोटिवेशनल कलम से


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

कमलकांत घिरी said

Very nice sir ji 👌👏👏🙏 प्रणाम 🙏

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत घिरी जी, आभार सधन्यवाद सहृदय 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत घिरी जी, बहुत-बहुत शुभाशीष 🙏🙏💖💖🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बिल्कुल सही कहा आपने यहां मुफ्त में कुछ नहीं मिलता👌✍️🙏

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, बहुत-बहुत आभार मैम आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए !! एक विशिष्ट अनुरोध है आपसे 🙏🙏 आपको मेरी बूक " द फ्लाॅवर ऑफ वर्ड " पढ़कर सबसे अच्छा क्या लगा !! अगर दो लाइनों में बताने का समय निकालेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी 🙏🙏 नमन सुप्रभात स्नेहाशीष 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत सुंदर प्रेरक रचना, उत्साहवर्धक , मुफ्त में कुछ नहीं मिलता।

वेदव्यास मिश्र said

आपकी पौन: उपस्थिति के लिए अंतस हृदय से आभार व नमस्कार भाई मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" जी 🙏💖💖🙏

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