तुम नही रहे दोस्त जैसे
अब न कोई ख्वाब जैसे
मुँह मोड़ जब से लिया
कहने भर के महताब जैसे
जिन्दगी में रूमानियत
बढ़ते ही बने सवाब जैसे
बिखर न जाना भविष्य में
दूर दिखना महताब जैसे
जिन्दगी की खुशी तुम से
खिले रहना गुलाब जैसे
कारोबार चलता रहेगा
'उपदेश' रहना महताब जैसे
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद