मेरी आंखें
अब कुछ भी,देखना नहीं चाहतीं
तुम्हारे सिवा
तुम आओ,
पकड़ो, अपनी उंगलियों से
मेरी बरौनियां, और,
खोल दो मेरी आंखें,
फिर से ये जहां देखने के लिए
बस, यही जिद है
मेरी सांसें
अब कुछ भी, महसूस करना नहीं चाहते
तुम्हारे सिवा
तुम आओ,
खुशबू दो, अपनी आहटों की, और,
मजबूर करो मेरे दिल को
धड़कने के लिए
बस, यही जिद है
मेरी उंगलियां
अब कुछ भी छूना नहीं चाहते
तुम्हारे सिवा
तुम आओ,
अपनी हथेलियों को,रखो
मेरे हाथों में, और,
मुझे तैयार करो
फिर से जीने के लिए
बस, यही जिद है।
सर्वाधिकार अधीन है