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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

बदलती हुई शिक्षा नीतियों के प्रभाव एवं परिणाम - अध्याय १ -देशभक्ति में बन जाओ

May 09, 2024 | विषय चर्चा | मनीषा  |  👁 23,337

क्या बात है!
छियत्तरवां आज़ादी दिवस!
खुल कर सांस लेने का एक दिन
बाकि दिनों में जाना तुम सिमट। 1

आज स्कूलों में बड़ी शान से
लहराए जाएंगे तिरंगे।
कल फिर से प्रिंसिपल दिखलाएंगे
अपने करतब कुछ बेढंगे। 2

आज अध्यापक करवाएंगे
विद्यार्थियों से देशभक्ति समारोह।
कल फिर से व्यक्तिगत जीवन को
जीने के लिए कर देंगे कुछ आरोह। 3

आज विद्यार्थी मदमस्त दिखाएंगे
राष्ट्रगीतों पर जलवा।
कल फिर से कुछ परोसेंगे
तेर-मेर का बेस्वाद हलवा। 4

आज पिता तिरंगा देंगे
अपने बच्चों को खरीद कर।
कल वही पड़ा मिलेगा
फटा, टूटा कहीं ज़मीन पर। 5

आज मां उपदेश देगी
शान में भारत माता की ।
कल उसी को पता नहीं होगा
उसका बच्चा कहां है जाता ही! 6

आज युवा दलों में
बड़ा जश्न मनाया जाएगा।
कल फिर से भारत की शान में
कहीं कोई दाग़ लगाया जाएगा। 7

आज महिला मोर्चा कुछ
किट्टी जैसा अलग करेंगी।
कल कितने ही काण्ड हो जाए
ये गधे-घोड़े बेच कर सोएंगी। 8

आज दफ़्तर-दफ़्तर
टोपी बंटेंगी तीन रंगी।
कल भ्रष्ट, लालची, कुछ
दोगलों की भर्ती होगी। 9

आज एक साल और दिया देश को
कहकर वृद्धजन खुश होंगे।
कल वही जीवन जीने की
लालसा में लिप्त होंगे। 10

आज ही आज है
जो भी है जिसकी आज़ादी।
कल फिर से आपस में बैर करती
दिखेगी भारत की आबादी। 11

मैं तो अधीर हुई जाती हूं
देखकर ये दोगलापन।
भारत अखण्डता का पुजारी
मुझे चाहिए इसमें अपनापन। 12

मुझे आदत है एकता की
ना हो जिसमें भेदभाव।
मुझे चाहत है उस भारत की
जिसमें हो भाईचारे साथ प्रेमभाव। 13

लड़ाई-झगड़े, मारपीट
ये मेरे अपने नहीं है।
एकल विलासित जीवन
ये मेरे सपने नहीं है। 14

हर एक में अपना हुनर है
उसे आगे आने दो।
तुम परेशान मत करो
उसे आसमान तक जाने दो। 15

किसी का इस्तेमाल करो
अपने फ़ायदे के लिए नहीं।
तुम में भी क्षमता है
अपनी आत्मा टटोलो तो सही। 16

तुम में भी छिपी है
तुम्हारी अपनी प्रतिभा।
पैसा तुम भी कमा सकते हो
बेशक होगा वो रास्ता नया। 17

नया होगा तभी तो
कुछ अच्छा सीखोगे।
पुरानी लीक पे चलते
तुम सिर्फ़ खीजोगे। 18

तुम हो सकते हो शायद
एक सर्वोत्तम कुम्हार।
जिसे महारत हासिल है
बनाने में मिट्टी के कहार। 19

या फिर तुम एक
अतिउत्तम धोबी हो।
जिसे परिश्रम से प्यार हो
जो ना कोई लोभी हो। 20

हो सकता है तुम में
छिपा बैठा हो एक सरल लुहार।
लोहे को पिघला के जिसे
अच्छा लगता हो देना आकार। 21

अच्छी है कुछ बनने के लिए
विभिन्न समझ और सोच।
चल पड़ो उस ओर मोड़ दो
थोड़ा अपनी सोच में लाेच। 22

जो सब ही बन जाएं कर्नल
तो सिपाही कहां से आएंगे?
जो सबने पहन ली टोपी
तो जनता कहां से लायेंगे? 23

ईश्वर ने सबको ही दिया है
एक-दो हुनर सबसे हटकर।
बाहर निकालो तुम उस गुण को
करो उससे अपना जीविकोपार्जन। 24

रहकर नैतिक क्षेत्र की हद में
तुम भी बन सकते धनवान।
समय तुम्हारे पास भी उतना
स्वस्थ शरीर, तुम्हारी जान। 25

मैं तो यही कहूंगी तुम
नहीं गरीब जो हुनरमंद हो।
बैर ना रखो, घात ना करो
भारत जन सब अकलमंद हो। 26

जय हिंद नारो तक सीमित
रहता मुझको देता दुःख।
हिंद की जय बोले ये विश्व
इसमें ही हम सबका सुख। 27

बन जाओ कोई कारीगर
और कोई तो बन जाओ माली।
कि लड़ते-भिड़ते तुम्हारी हालत
देखी ना जाती मुझसे हाली। 28

एक पूरब जाओ और जाकर
उगा लो धान की खेती।
दूसरा चले जाओ पश्चिम
सागर से खोज लाओ मोती। 29

तीसरा दिशा जाओ उत्तर
और वेदों का करो पाठन।
चौथा चले जाओ दक्षिण
नारियल से बना लाओ तुम धन। 30

पांचवा चले जाओ पाताल
बना दो टनल खोद सुरंग।
छ्टा चले जाओ आकाश
उड़ जाओ आज़ाद पतंग। 31

ऐसे ही दसों दिशाओं में
फैल जाओ तुम सब के सब।
अपनी अंतर-आत्मा का
पीछा करो अबसे तुम सब। 32

तुम्हारा मन जो कहता है
व्यव्हार में भी तुम वही लाओ।
जो तुम बनना चाहते हो
देशभक्ति में बन जाओ। 33

जय हिंद!


_____मनीषा सिंह

आगे पढ़ें - अध्याय २ - बहनें और भारत देश




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