ए चलती हवा से गुज़ारिश करें
गुजरते लम्हें को फ़रियाद करें
पतझड़ में तूँ भी तो आहे भरे
याद रखिएँ तूँ कैसे ख़ामोश चले
मिट्टी के मोल कैसे करें
अपनी आहुति देकर वो हमें घड़े
तपन में वो हमारे लियें जले
याद रखिएँ अनादर कभी न करें
मौसम की नज़ाकत कहाँ खिले
प्रकृति भी दास उसकी बने
सृष्टि में वो लावण्य,मृदुता भरे
याद रखिएँ नित्य सलाम करें
जहाँ की बात निराली लगे
करुणा संग, प्रेम भी भरे
सुख - दुःख की हजारों गलियाँ मिले
याद रखिएँ परिवर्तन से जीवन चले !!!!