जिस सम्त गया तेरे ही नक्शे पा मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?
राहों में कई लश्कर कई कारवां मिले।
तुम क्यों नहीं मिले ?
ताउम्र तेरी आरजू बस तेरी तलाश थी
बेफिजूल है तुम बिन ही जो जहां मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?
मैं वहां तक जा पहुंचा तेरी तलाश में
जिस मंजर में जमीं से आसमां मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?
दूजी आरजू ना रही तुझे देखने के बाद
जिंदगी की राह में तुमसे भी हसीं मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?
उम्मीद के सहारे उम्र इक काट दी मैंने
कभी तुम ख्वाबों मे आकर भी ना मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?
-छगन सिंह जेरठी
@Chhagan Singh Jerthi

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




