मौसम ने ली अंगड़ाई झूम कर आई बरसात।
कितना मनभावन लगती हवाएँ करती बात।।
मेरी रूठी उम्मीदों को पंख लग गये हो जैसे।
तन्हाई के आलम में सोचूँ आए उनकी बारात।।
कब से खामोशी में डूबा दिल हलचल करता।
दिल के हर कोने में गूंजे उठती उनकी बात।।
देखते देखते दिन गुजरा शाम सुहानी आई।
मन में कुमलाते फ़ूलों के मरते देखे जज्बात।।
सदियों से बिछुड़ा दिल मायूस हुआ 'उपदेश'।
आशाएं कुंठित होकर कर रही है आत्मसात।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




