किरणों की कश्ती
उदीप्त उषा निखरी।
रजत रक्तिम रूपसी
उज्ज्वल श्वेत उर्वशी ।
सुकोमल तनु युग कल्प
पुलकित हृदय प्रीत कम्प।
शिशु जग को दे श्वास सुहाग
गाती सुरभित स्मृतियाँ राग।
सूने में संगीत बहाती
अलसाये विश्व को जगाती।
कोने कोने तक करुण लय
पहुंचाती मधु आस मय।
_ वंदना अग्रवाल 'निराली'