कविता : भिखारी....( 2 )
एक लड़की की ओर
नजर गड़ गया
उसी से मेरा प्यार का
चक्कर पड़ गया
उसे होटल पर दिन
रात ले जा कर
कभी मटन कभी चिकन
खिला खिला कर
सारा का सारा
पैसा उड़ा दिया
सब कुछ उसी
पर चढ़ा दिया
काश पहले से ही
मैं करता होशियारी
अब तो हो गया उसी के
कारण भीखारी
अब तो हो गया उसी के
कारण भीखारी.......