दोषारोपण करते रह गए,
व्यवस्था पर उंगली उठाते रह गए।
सुर्खियों में आने के लिए,
टीवी चैनल पर बयान बाजी करते रह गए।
अमानवीय कृत्य पर, उठे न जागे।
अपने ही, घर में सोते रह गए।
समाज के लिए हैं जहर,
भ्रष्टाचारी दुराचारी।
अन्याय के खिलाफ कब तक रहोगे मौन,
कहर ढाये, तुम पर जब तक अत्याचारी।
गुमसुम से खड़े हो इसलिए,
तुम्हारा सगे वाला न था।
आज उसका गला घोंट दिया,
कल तुम्हारा पूछने वाला कौन होगा।
भ्रष्टाचारियों पर, अब तो नकेल कसनी होगी।
उठो जागो, अब तो आवाज बुलंद करनी होगी।
वरना आज इसकी, कल उसकी बारी होगी।
और हरेक की कहानी, फाइलों में दफन होगी।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




