शीर्षक - बेटी का घर कौनसा?
बाबुल के आशियाने को
माना हमने अपना ,
पर लोग कहते हैं
ये नहीं है तुम्हारा अपना ।
आखिर क्यों एक बेटी को
लोगों ने बना दिया पराया,
आखिर कौनसा घर है उसका अपना
कोई उसे बताए जरा।
मायका कहता है-
बाबुल का घर
नहीं तुम्हारा आशियाना,
तु पराया धन है ।
ससुराल कहता
पिया का घर
नहीं तुम्हारा अपना ,
तु पराए घर से आई है ।
आखिर एक बेटी जाए कहां ?
मायके ने बोझ उतारा
ससुराल भेज दिया ,
ससुराल ने लांछन लगाया
और ठुकराया
फिर अकेला छोड़ दिया ।
मायके को
बोझ उतारना ही था
ससुराल क्यों भेज दिया
ससुराल को
ठुकराना ही था
लांछन क्यों लगा दिया ।
आखिर कहां जगह है
इस बेटी की
कोई उसे बताए जरा
कौनसा घर है उसका अपना
कोई उसे दिखाए जरा ।
-रीना कुमारी प्रजापत