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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बेटी का घर कौनसा ?


शीर्षक - बेटी का घर कौनसा?

बाबुल के आशियाने को
माना हमने अपना ,
पर लोग कहते हैं
ये नहीं है तुम्हारा अपना ।
आखिर क्यों एक बेटी को
लोगों ने बना दिया पराया,
आखिर कौनसा घर है उसका अपना
कोई उसे बताए जरा।

मायका कहता है-
बाबुल का घर
नहीं तुम्हारा आशियाना,
तु पराया धन है ।
ससुराल कहता
पिया का घर
नहीं तुम्हारा अपना ,
तु पराए घर से आई है ।
आखिर एक बेटी जाए कहां ?

मायके ने बोझ उतारा
ससुराल भेज दिया ,
ससुराल ने लांछन लगाया
और ठुकराया
फिर अकेला छोड़ दिया ।
मायके को
बोझ उतारना ही था
ससुराल क्यों भेज दिया
ससुराल को
ठुकराना ही था
लांछन क्यों लगा दिया ।

आखिर कहां जगह है
इस बेटी की
कोई उसे बताए जरा
कौनसा घर है उसका अपना
कोई उसे दिखाए जरा ।

-रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

फ़िज़ा said

आपने क्या खूबसूरत लिखा है आपने हम सारी बेटियों की तरफ से आज पूछ ही लिया की बताओ हमारा घर कौनसा? बहुत ही मार्मिक एवं दिल को छू लेने वाली रचना ।

वन्दना सूद said

हकीकत शब्दों में बयान हुई

Kapil Kumar said

Haqeeqat bhi hai aur sochne wali baat bhi Dard bhi hai iska jawab to jarur Milana chahie

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी कपिल जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका हमारी कविता पर प्रतिक्रिया देने और पढ़ने के लिए

Arpita pandey said

सही बात लिखी है आपने बेटी का घर है कौन सा कोई बताए

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya didi

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