कविता : तुम्हारे बगैर ( 2 )....
बेशक तुम्हारे लिए
आज मरता हूं
मगर ये न समझो मैं तुम्हें
प्यार करता हूं
बेशक तुम्हारे बगैर
मेरा जी नहीं लगता
मगर ये न समझो तुम
बिन जी नहीं सकता
बेशक तुम से, तुम मेरी
धड़कन हो कह सकता हूं
मगर ये न समझो मैं तो
तुम्हारे बगैर भी रह सकता हूं
मगर ये न समझो मैं तो
तुम्हारे बगैर भी रह सकता हूं.......
netra prasad gautam